Writers' Retreat
जीवन की परिभाषा
आज मनुष्य हो,
कल कभी पुष्प भी थे!
आज शक्ति की मूरत हो,
कल कभी किसीके अधीन भी थे!
तुम गुरूर बेशक करते हो
अपनी खूबसूरती का,
बताओ, कितने दिन बचे है
संग तुम्हारे उसका?
अब जाने भी दो अपने अहम को
ये दुनिया कहां बड़ी है!
पल भर में ही यहां
किसीकि नैया डूब जाती है।
समझ है तुमको भी
सभी बातों का,
बस फर्क इतना है
कि गुरूर अभी भी तुममें उतना ही बरकरार है!!